ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा है कि उत्तर प्रदेश को समृद्ध, हरित और आधुनिक बनाने के लिए इस वर्ष भी बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। यूपी देश का पहला राज्य है जहां पिछले पांच वर्षों से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गईं और टैरिफ भी वही है, जिसका लाभ प्रदेश के सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को मिलेगा। दरें यथावत रहने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने शुक्रवार को मंत्री से मिलकर आभार जताया और अब बिजली दरों में कमी के लिए सरकार का सहयोग मांगा है।

मंत्री ने कहा, इन क्षेत्राें में भी कम हों विद्युत दरें

परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि दरें कम कराने के लिए वह विद्युत नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करेंगे। मंत्री ने बताया कि आइटी उद्योग को बढ़ावा देने, स्टार्टअप लगाने व बाहर की कंपनियों का निवेश बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में विद्युत दरों को कम किया गया है। इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग के लिए सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन स्टेशनों के वर्तमान टैरिफ को राज्य परिवहन के लिए भी लागू किया गया है। उद्योगों को ग्रीन एनर्जी प्रमाणपत्र देने की तय दरों को 20 प्रतिशत तक कम किया गया है।

शर्मा ने बताया कि उपभोक्ताओं के हित में सरकार ने 17,511 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है। मंत्री से मुलाकात के बाद वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद की 90 प्रतिशत मांगों को नियामक आयोग ने माना है। जिन मांगों को नहीं माना गया है उनको लेकर अगले सप्ताह आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी। वर्मा ने कहा बिजली कंपनियों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं का पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। इस वर्ष भी उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 1,944 करोड़ रुपये सरप्लस निकला है। ऐसे में उपभोक्ता परिषद मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर बिजली दरों में कमी के मुद्दे पर सहयोग मांगेगा। 

यूपी में सितंबर 2019 से लागू हैं हाल की दरें

बिजली की मौजूदा दरें सितंबर 2019 से लागू हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बिजली की दरों में औसतन 11.69 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। दरें न बढ़ने से शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की अधिकतम बिजली दर जहां 6.50 रुपये प्रति यूनिट बनी रहेगी वहीं ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दर 5.50 रुपये प्रति यूनिट तक होगी।