जनसंख्या नियंत्रण बिल : भाजपा सांसद रवि किशन ने ही शुक्रवार को लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए बिल पेश किया। देश में बढ़ती जनसंख्या को लेकर बहस चल रही है। भारत भले ही विकास के पथ पर तीव्र गति से चल रहा हो लेकिन ये सफर किसी भी सूरत में आसान नहीं है। जनसख्या एक ऐसा ही मसला है। गोरखपुर से भाजपा सांसद और एक्टर रवि किशन ने बढ़ती जनसंख्या का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराया है। उन्‍होंने जनसंख्या नियंत्रण बिल पर अपनी राय रखते हुए कहा क‍ि कांग्रेस अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाती तो मेरे चार बच्चे नहीं होते। रवि का कहना है कि मैं जब आज अपनी पत्नी और बच्चों के विषय में सोचता हूं तो सॉरी फील करता हूं। रवि किशन ने आगे कहा कि सरकार कांग्रेस के पास थी। उनके पास कानून था। हम अवेयर नहीं थे। हम बच्चे थे। हम तो खेलते कूदते जीवन में अंगड़ाई ले रहे थे। आज जब मैच्योरिटी आई है और उन्हें देखता हूं तो दुख होता है। खास बात यह है कि भले ही जनसख्या के मुद्दे पर जनता लचर रवैया अपनाते हुए बच्चों को अल्लाह की नेमत, भगवान की सौगात मान रही हो लेकिन सरकार की सोच ऐसा नहीं है। बढ़ी हुई जनसख्या को लेकर सरकार का एजेंडा क्लियर है। दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती देश की आबादी पर सरकार का रुख क्या है? इसे हम एजेंडा आजतक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे भाजपा सांसद और एक्टर रवि किशन की बातों से समझ सकते हैं।

मनोज तिवारी ने ज्यादा बच्चे पैदा करना गलती बताया, तो रवि किशन ने टोका

रवि किशन के एक इंटरव्यू में उनके साथ भाजपा सांसद मनोज तिवारी थे। वह तीसरे बच्चे के पिता बनने जा रहे हैं। इसको लेकर कुछ दिन पहले उन्हें ट्रोल भी किया गया था। उनसे भी इंटरव्यू में तीसरे बच्चे को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि अगर पीछे कोई गलती हो गई तो इसका मतलब यह नहीं कि हम आगे भी गलती करते रहें। मनोज तिवारी यह बात कह ही रहे थे, कि रवि किशन ने उन्हें टोक दिया। रवि किशन ने कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करना गलती नहीं थी और हम उसे गलती नहीं मानेंगे। अगर कांग्रेस ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया होता तो हम बच्चा पैदा नहीं करते। चीन को कोट करते हुए भले ही रवि किशन ने ये कह दिया हो कि वहां जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है लेकिन सवाल ये है कि क्या वाक़ई जनसंख्या नियंत्रण के लिए किसी पार्टी या बिल की जरूरत है? जवाब है नहीं. क्योंकि ये समस्या लोगों से जुड़ी हुई है तो लोगों को खुद इस विषय में सोचना होगा.

क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून ?

सवाल उठाए जा रहे हैं कि इस कानून में क्या प्रावधान किए गए हैं आम जनता को इससे कैसे लाभ मिलेगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1.4 बिलियन से अधिक लोग रहते हैं। यह संख्या भारत को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बनाता है। 2019 का जनसंख्या नियंत्रण बिल कहता है कि प्रत्येक कपल टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाएंगे यानी की दो से अधिक संतान नहीं होगी। हालांकि 2022 में इसे वापस ले लिया गया था। इस पॉलिसी का उद्देश्य शैक्षिक लाभ, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, बेहतर रोजगार के अवसर, होम लोन और टैक्स कट के माध्यम से इसे अपनाने को प्रोत्साहित करना था।

क्या कहता है संविधान?

1969 के डिक्लेरेशन ऑन सोशल प्रोग्रेस एंड डेवलपमेंट का अनुच्छेद 22 यह सुनिश्चित करता है कि कपल को यह स्वतंत्रता है कि उनके कितने बच्चे हो वे इस बात का निर्णय ले सकते हैं। बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

क्या है संवैधानिक चुनौतियां?

टू चाइल्ड पॉलिसी को आजादी के बाद से अब तक 35 बार संसद में पेश किया जा चुका है। अगर यह कानून लागू किया जाता है तो कानून को तलाकशुदा जोड़ों के अधिकारों के साथ-साथ इस्लामी धर्म को भी ध्यान में रखना होगा। इससे पहले जब यह बिल पेश किए गए तो इन बिलों में इन विशेषताओं का अभाव था। साथ ही आम जनता ने इसकी जमकर आलोचना भी की।

तो जनसंख्या नियंत्रण कानून से क्या हो सकता है असर?

अगर भारत समेत दुनियाभर में आबादी बढ़ रही है तो जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर इसे कम किया जा सकता है। ऐसे में क्यों कहा जा रहा है कि इस कानून का देश पर भारी नुकसान पहुंचेगा? डेटा साइंटिस्ट नमन ने इसे भी विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के बाद कम बच्चे पैदा होंगे। एक समय के बाद मौजूदा युवा बुजुर्गों की श्रेणी में आ जाएंगे। जिनकी संख्या काफी अधिक होगी। वहीं, कम बच्चे पैदा होने के चलते युवाओं की संख्या बहुत घट जाएगी।’ ‘अभी भारत दुनिया का सबसे युवा देश कहलाता है। लेकिन जब बच्चे कम पैदा होंगे तो भारत में युवाओं की संख्या कम हो जाएगी और उतनी ही तेजी से बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी। तब भारत दुनिया का सबसे ज्यादा बुजुर्गों वाला देश बन सकता है। मतलब हमारे यहां काम करने वालों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। जो किसी भी देश के लिए सबसे खतरनाक स्थिति होती है।’

इसके अलावा बहुत सारे मुद्दे हैं जैसे इस कानून के पास होने पर लिंग-चयन और असुरक्षित गर्भपात जैसी एक्टिविटी को प्रोत्साहन मिल सकता है, जो एक गंभीर विषय है। ऐसा भी हो सकता है कि महिलाएं अपने लाइफ और हेल्थ को खतरे में डालकर अवैध गर्भपात के तरीकों को अपना कर एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल करेंगी।