जबलपुर ।   एक महिला को विवाहिता साबित कर उसे शासन की ओर से दिए गए लाभ को शून्य घोषित कराने एक अन्य महिला ने कलेक्टर न्यायालय में दावा किया। उसने इसके लिए एक पुरोहित को भी न्यायालय में प्रस्तुत किया, जिसने गवाही दी कि उसने संबंधित महिला का विवाह कराया है। वादी और पुरोहित दोनों ने न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र भी दिए, लेकिन कलेक्टर न्यायालय ने उनको खारिज करते हुए प्रतिवादी महिला को विवाहित मानने से इंकार कर दिया।मामला कुछ इस तरह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने डेढ़ साल पहले एक आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया अपनाई थी। इस प्रक्रिया में पंजाब बैंक कालोनी क्षेत्र में रहने वाली रूपवती कोरी नामक एक विधवा को नियुक्ति प्रदान की गई थी, लेकिन एक अन्य आवेदक कांति वर्मा ने इस मामले में यह कहते हुए कलेक्टर डा. इलैयाराजा टी. की न्यायालय में परिवाद दायर किया कि जिसका चयन किया गया है उसने पहले पति की मौत के बाद पुनर्विवाह कर लिया था। इस संबंध में कांति वर्मा ने रूपवती कोरी की मांग भरी फोटो भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। इतना ही नहीं कांति वर्मा ने जागेश्वर प्रसाद मिश्रा नामक एक ऐसे व्यक्ति को भी पेश किया, जिसका दावा रहा कि उसने रूपवती का विवाह 21 नवंबर 2018 को कोमल कोरी के साथ करवाया था। इन दावों के समर्थन में कांति वर्मा और पुरोहित दोनों ने शपथ पत्र भी दिए। इसके जवाब में रूपवती कोरी की ओर से भी एक शपथ-पथ दिया गया। इस शपथ पत्र के माध्यम से उसने कहा कि उसके पति रामकुमार कोरी की 25 अप्रैल 2017 को मृत्यु हो गई थी, तब से वह विधवा का ही जीवन बिता रही है।

तीन शपथ पत्रों की पेचीदगी

इस मामले में तीन-तीन शपथ पत्र पेश किए गए। सभी का दावा रहा कि वो सही बोल रहे हैं, लेकिन कलेक्टर ने स्वघोषणा को वरीयता देते हुए रूपवती कोरी के शपथ पत्र पर भरोसा जताते हुए कांति वर्मा और पुरोहित के दावों को माने से इंकार कर दिया और अपने निर्णय में रूपवती के चयन को सही ठहराते हुए कांति वर्मा के आवेदन को खारिज कर दिया।