बेंगलुरु । कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने में छह महीने से भी कम समय बचा है। इसलिए यहां चुनावी सरगर्मियां शुरू हो गई हैं। 224 विधानसभा सीटों वाले इस दक्षिणी राज्य में मई 2023 तक चुनाव होने हैं। गुजरात में लगातार सातवीं बार रिकॉर्ड जीत के साथ सत्ता में भाजपा की वापसी ने सत्तारूढ़ दल को कर्नाटक में भी जीत के लिए प्रेरित किया है। 
दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत ने कर्नाटक कांग्रेस में ऊर्जा का संचरण किया है। राज्यों के आकार या जीत के अंतर जैसे मुद्दों को अलग रखते हुए हाल ही में संपन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों ने क्रमश: भाजपा और कांग्रेस के लिए 1-1 से जीत हासिल की है। फोकस अब कर्नाटक पर है जहां दो राष्ट्रीय पार्टियों के बीच अब एक फिर सत्ता की चौसर सज गई है। दोनों दल अपनी अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।   
सितंबर-अक्टूबर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कर्नाटक चरण ने राज्य में सियासी सरगर्मी पैदा कर दी है। 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर राहुल ने 30 सितंबर को कर्नाटक में प्रवेश किया और 15 अक्टूबर को राज्य से निकले। 
जब तक भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में रही कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्टाचार सांप्रदायिकता और किसानों की समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर बोम्मई के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ भाजपा पर जबर्दस्त हमले किए गए। भारत जोड़ो यात्रा को मिली जनता की अच्छी प्रतिक्रिया से बौखलाए सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी जन संकल्प यात्रा के साथ पलटवार किया। 
कांग्रेस को भरोसा है कि वह 2023 में राज्य की सत्ता में वापसी करेगी उधर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई कह रहे हैं कि विपक्षी पार्टी के पास राज्य में जीत का कोई मौका नहीं है। हालांकि गुजरात की तुलना में कर्नाटक जीतना भाजपा के लिए कहीं अधिक कठिन साबित हो सकता है। क्यों कि कर्नाटक में भाजपा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है और राजधानी शहर में बुनियादी ढांचे की कमियों पर आलोचना की जा रही है।
कांग्रेस के लिए केरल के अलावा कर्नाटक एकमात्र दक्षिणी राज्य है जहां उसका सम्मानजनक राजनीतिक प्रभाव बना हुआ है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिव कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सार्वजनिक तौर पर एकजुटता दिखाने के बावजूद सभी जानते हैं कि इनके बीच 36 के संबंध हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं ने कांग्रेस खातिर समर्थन जुटाने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग बस यात्रा निकालने की योजना बनाई है।
पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि सिद्धारमैया की बस यात्रा उत्तर से शुरू होगी और डीके शिव कुमार दक्षिण से शुरुआत करेंगे। पार्टी के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा वे दोनों अपने आप में मजबूत नेता हैं और अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो उनकी नजर मुख्यमंत्री पद पर होनी चाहिए। इस बीच जनता दल (सेक्युलर) ने नवंबर में कोलार जिले के मुलबगल से अपनी पंचरत्न यात्रा शुरू कर अपनी चुनावी महत्वाकांक्षाओं का उद्घोष कर दिया। जनता दल सेक्यूलर भले ही अपनी दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हो लेकिन अनेक मौकों पर वह किंग मेकर के रूप में उभरी है जिसके परिणाम स्वरूप एचडी कुमारस्वामी 2006 और 2018 में मुख्यमंत्री बन सके। कुमारस्वामी ने कहा कि वह विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ने जा रहे हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह बयानबाजी चुनावी हो सकती है वह दरअसल पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन खंडित जनादेश की स्थिति में वह एक बार फिर महत्वपूर्ण स्थिति में सामने आ सकते हैं। कांग्रेस और भाजपा भी अब राज्य में सक्रिय हो गई हैं।