इंदौर।   रविवार को जिला कांग्रेस द्वारा सांवेर में किए गए बड़े आंदोलन के बाद सोमवार सुबह शहर कांग्रेस ने भी इंदौर में बढ़ती महंगाई के खिलाफ धरना दिया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर शहर कांग्रेस की ईकाई ने धरना तो दे दिया लेकिन धरने से पहले गुटों में बंटे संगठन का अंतर्विरोध साफ दिखा। धरने के न्यौते पर रविवार सुबह से शाम तक कांग्रेसियों की बहस, विरोध और सफाई चलती रही।

शहर कांग्रेस कमेटी के ऐलान पर रीगल चौराहे पर सिंगापुर मार्केट परिसर में धरना दिया गया। हालांकि महंगाई जैसे बड़े मुद्दे पर कांग्रेस का आंदोलन औपचारिकता भर दिख रहा है। दरअसल प्रदेश से आये आदेश के बाद शहर कांग्रेस ने धरना तो दे दिया लेकिन उसमें न लोगों की भागीदारी दिखी न कांग्रेस लोगों से जुड़ती नजर आई। शहर कांग्रेस ने सुबह 10 बजे से 11.30 बजे तक का समय धरने के लिए तय कर दिया। धूप से बचने की गरज से कांग्रेस नेता सड़कों पर निकलने और बड़ा विरोध करने की बजाय औपचारिक विरोध जताने में लगे रहे। धरना स्थल पर नेताओं ने भाषण दिया और रवाना हो गए।

एक दिन पहले इस धरने के न्यौता देने के मैसेज पर भी विरोध चलता रहा। दरअसल कांग्रेस के प्रदेश सचिव और डिजिटल सदस्यता अभियान के संभाग प्रभारी राकेशसिंह यादव ने धरने में आने कब लिए कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के लिए एक निर्देश जारी किया। इसमें लिखा गया कि धरने में सभी का आना जरूरी है। साथ ही वहां रखे रजिस्टर पर भी साइन करना होंगे। इस पर कांग्रेसी भड़क गए। कई पदाधिकारियों ने सवाल उठा दिए कि आखिर यादव को शहर कांग्रेस की और से निर्देश जारी करने का अधिकार किसने दिया। संघठन के वाट्सएप ग्रुपों पर जमकर बहस चली।

शाम को शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल की और से एक संदेश जारी किया गया कि सिर्फ उन्हीं के द्वारा जारी किए गए निर्देश अधिकृत होंगे। सोमवार सुबह धरने में करीब 200 कांग्रेसी पहुंचे। ऐसे में संख्या पर भी सवाल उठे। दरअसल कांग्रेस डिजिटल सदस्यता अभियान में इंदौर में सबसे ज्यादा सदस्यता होने की बात कर रही है। ऐसे में हजारों नए सदस्य बनने के बावजूद सिर्फ 200 लोगों का महंगाई जैसे बड़े मुद्दे पर धरने में शामिल होना सदस्यता के आंकड़े की भी पोल खोल रहा है।