मिशन 2024 के फॉर्मूले में फंसा मंत्रिमंडल विस्तार
भोपाल । मप्र में नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शपथ ग्रहण के बाद सभी की निगाहें मंत्रिमंडल पर टिकी हुई है। कैबिनेट में लोकसभा सीटों को कवर करने का फॉर्मूला लागू हो सकता है। बताया जा रहा है कि मप्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद मोहन मंत्रिमंडल के विस्तार किया जा सकता है। मोहन यादव की कैबिनेट में लोकसभा सीट का फॉर्मूला लागू हो सकता है। मंत्रिमंडल में लोकसभा चुनाव के चलते फॉर्मूले पर मंथन किया जा रहा है। लोकसभा सीटों के गणित से मंत्रिमंडल विस्तार अटका हुआ है। मंत्रिमंडल छोटा रहेगा, इसलिए अधिक उलझन हो रही है। विधानसभा सत्र के बाद एमपी मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें लगाई जा रही है।
यह भी बताया जा रहा है कि इस बार नए पुराने चेहरों को मौका दिया जा सकता है। दूसरा इस बार हर लोकसभा सीट से एक नेता को मंत्री बनाया जा सकता है। तीसरा, जातिगत समीकरण साधने के लिए सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। चौथा, सांसदी छोडक़र आए नेताओं को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती हैं। मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र जारी है। बताया जा रहा है कि सत्र के बाद कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। वहीं सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री व नरसिंहपुर से बीजेपी विधायक प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि था मेरे अनुभव के हिसाब से बीच सदन में कैबिनेट का विस्तार नहीं होता, बाकी देखो क्या होता है। जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे है कि विधानसभा सत्र के बाद ही मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में शिवराज सरकार के 33 में से 31 मंत्रियों को टिकट दिया गया था। जिसमें से 12 मंत्री इस बार चुनाव हार गए हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि मंत्रिमंडल में चौंकाने वाले नामों पर सहमति बन सकती है। मोहन मंत्रिमंडल में कुछ पुराने चेहरों को शामिल किया जा सकता है। वहीं शिवराज कैबिनेट में शामिल कई चेहरों को बाहर किया जा सकता है।
प्रदेश में 15 से 18 मंत्री बनाए जा सकते हैं। उसके बाद जरुरत पडऩे पर विस्तार किया जा सकता है। कैबिनेट विस्तार की सूची लगभग तैयार कर ली गई है। जिसमें प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, रीति पाठक राव उदय प्रताप सिंह, गोविंद राजपूत, भूपेंद्र सिंह, तुलसी सिलावट जैसे बड़े नाम लिस्ट में शामिल है। इस बार की कैबिनेट में सिंधिया समर्थक विधायकों के चेहरे कम दिखाई दे सकते हैं। सिंधिया समर्थक विधायकों के नाम कट सकते है। मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जाति समीकरण को देखकर कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और नव निर्वाचित विधायक नरेंद्र सिंह तोमर बुधवार को निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे। तोमर ने भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ विधानसभा पहुंचकर विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया है। अब बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष का निर्वाचन होगा और तोमर इसी दिन बतौर विधानसभा अध्यक्ष पदभार ग्रहण करेंगे। सामयिक अध्यक्ष गोपाल भार्गव नए अध्यक्ष को शपथ दिलाएंगे।
बुधवार को ही राज्यपाल का अभिभाषण भी होगा और 21 दिसंबर को अन्य शासकीय कार्य संपादित होंगे। विधानसभा में 163 सदस्य भाजपा के हैं, इसलिए निर्विरोध निर्वाचन होगा। तोमर के रूप में पहली बार विधानसभा का अध्यक्ष ग्वालियर-चंबल अंचल से बनेगा। अभी तक अधिकतर समय विंध्य और महाकोशल अंचल से अध्यक्ष बनते आए हैं।